हास्य-व्यंग
भ्रष्टाचार के दानव से डेंगू मच्छर केजरीवाल का
महायुद्ध
बेटा:     पिताजी।
पिता:    हां, बेटा।
बेटा:     अरविन्द केजरीवाल ने कहा है कि मैं एक डेंगू मच्छर
हूं । मैं भाजपा व कांग्रेस दोनों को ही काटूंगा और वह
मुश्किल में पड़ जायेंगे ।
पिता:    बेटा, वह बहुत समझदार व जुझारू व्यक्ति हैं । मैं तो
उनका कायल हूं।
बेटा:     पर पिताजी, मच्छर तो हर किसी को काट खाता है –
मुझे भी, आपको भी, कसूरवार
को भी और निर्दोष को भी।  
पिता:    बेटा, वह समझदार महानुभाव हैं। उन्होंने जो कुछ भी कहा सोच-समझ कर ही किया
होगा।
बेटा:     पिताजी, इस प्रकार डेंगू तो सब को परेशान करेगा और लोग केजरीवाल से भी परेशान
हो उठेंगे।
पिता:    बेटा, ऐसा नहीं होगा।
बेटा:     पिताजी, भ्रष्टाचार के विरूद्ध लडाई तो कोई सशक्त व्यक्ति ही लड़ सकता है
और कामयाब हो सकता है।
मच्छर तो एक कमजोरी का प्रतीक है। लोग आम कहते फिरते हैं कि मैं तुम्हें मच्छर
की तरह मसल डालूंगा।
पिता:    बेटा, वह बहुत धैर्यवान व्यक्ति हैं। उन में बहुत ताकत है। वह ऐसे डांवाडोल
नहीं हो सकते।
बेटा:     पर पिताजी, डेंगू मच्छर से अपनी तुलना उनके विरोधियों ने नहीं उन्होंने स्वयं
की है।
पिता:    यह तो ठीक है।
बेटा:     भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ाई तो एक दिन की लड़ाई
नहीं है। यह तो सालों-दशकों तक चलेगी। उसके लिये योधा तो शक्तिमान
व धैर्यवान ही होना चाहिये।
पिता:    तो बेटा, केजरीवाल ऐसे ही व्यक्ति हैं।
बेटा:     पर उन्होंने तो
अपनी तुलना डेंगू मच्छर से कर रखी है।
पिता:    उससे क्या फर्क पड़ता है?
बेटा:     फर्क तो पड़ता है। मच्छर की आयु बहुत अल्प होती
है – दस दिन से लेकर एक मास तक। तो मच्छर के रूप में केजरीवाल इतना बड़ा काम इतने
कम समय में कैसे पूरा कर लेंगे?
पिता:    बेटा, यह बात तो तू
केजरीवाल से ही पूछ।
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