Thursday, June 15, 2017

हास्‍य–व्‍यंग पढि़ये विज्ञापन और त्‍यागिये आत्‍महत्‍या का इरादा

हास्‍यव्‍यंग
          कानोंकान नारदजी के
पढि़ये विज्ञापन और त्‍यागिये आत्‍महत्‍या का इरादा

                                रोज़ बढ़ रहे आत्‍महत्‍या के मामलों को पढ़ कर बड़ा दु:ख होता है। ऐसा लगता है कि ऐसा कायराना कदम उठाने वाले व्‍यक्ति टीवी नहीं देखते व अखबार नहीं पढ़ते। पर आज के युग में यह सम्‍भव नहीं लगता। तो फिर ऐसा लगता है कि वह लोग ध्‍यान से इन मीडिया माध्‍यमों में प्रकाशित व प्रसारित विज्ञापनों को नहीं पढ़ते या देखते। यदि देखते हैं तो ऐसा लगता है कि वह उन पर ध्‍यान नहीं देते। या फिर यह कह सकते हैं कि वह उनको ठीक तरह से समझ नहीं पाते। हमारे विज्ञापनों में तो हर मर्ज़ की दवा हाजि़र है। हर समस्‍या का हल है। विज्ञापनों में बताये रास्‍ते पर चल कर क्‍या वस्‍तु है जिसे आप पा नहीं सकते?      
                            मुझे तो दु:ख व हैरानी होती है जब मैं समाचार पढ़ता हूं कि किसी लड़के या लड़की ने आत्‍महत्‍या कर ली क्‍योंकि वह परीक्षा में पास न हो सके या उतने नम्‍बर नहीं आये जितनी कि उनको उम्‍मीद थी या चाहते थे। यह तब होता है जब बच्‍चों या उनके मां-बाप ने वह विज्ञापन नहीं पढ़ा-सुना होता जिसमें सौ प्रतिशत पास होने की गारण्‍टी दी होती है। कई तो मनचाहे नम्‍बर मिलने का भी वादा करते हैं। आपका बच्‍चा आठवीं में फेल हो गया तो क्‍या?अनेक संस्‍थाये उन्‍हें अगले ही साल मैट्रिक करवा देने की गारण्‍टी देती हैं। तो फिर माता-पिता और उनके अभिवावकों को और क्‍या चाहिये? वह क्‍यों उन संस्‍थाओं से सम्‍पर्क कर अपने बच्‍चों का भविष्‍य नहीं सुधार लेते और उनकी कीमती जीवन बचा लेते?
                            कई लोगों को यह गिला रहता है कि जीवन नीरस है। तब मैं उनकी अज्ञानता पर हंसता हूं। कहां है जीवन नीरस। आप घर में, बाहर, सड़क पर, खेत में, खलिहान में, रैस्‍तरां में, होटल में, पूजास्‍थलों में, और कहां नहीं, गीत-संगीत ही तो है। आपके घर में रेडियो पर, टीवी पर, आपके मोबाइल फोन पर गाना और नाच ही तो है। वर्डसऐप और इन्‍स्‍टाग्राम पर तो आपको मनमोहक तस्‍वीरें, चुटकले, प्रेरणादाय‍क विचार भी मिलते हैं। तो आप कैसे कह सकते हैं कि आपका जीवन नीरस है? आजका जीवन जितना संगीतमय है उतना तो कभी रहा ही नहीं। आपने देखा नहीं कि लड़के-लड़कियां और अन्‍य लोग भी सड़क पर, स्‍कस्‍कॅटर-कार में, यहां तक कि स्‍कूल-कालिज में भी अपने कान में मोबाईल के प्रकरण लगा कर घूमते-फिरते संगीत का आनन्‍द लेते जाते हैं और किसी को डिस्‍टर्ब भी नहीं करते। यही तो उनकी शालीनता है।
                  जो अपने आपको अकेला महसूस करते हैं, उनके लिये तो और भी आकर्षक ऑफर हैं। मोबाइल के माध्‍यम से आप सैंकड़े-हज़ारों दोस्‍त बना सकते हैं। वह तो बस आपके फोन की प्रतीक्षा में रहते हैं। आप लोगों से  आपकी मर्जी़ के अनुसार, महिला व पुरूषों से, लड़कों-लड़कियों से  मीठी-मीठी बातें कर सकते हैं। फलर्ट भी कर सकते हैं। कोई मनाही नहीं है। कुछ कम्‍पनियों ने तो ऐसा भी प्रावधान कर रखा है कि आप चाहें तो किसी भी पुरूष-महिला से अपना नम्‍बर छुपा कर भी उन पर अपना दिल उंडेल सकते हैं। । बस आपको इसके लिये कुछ शुल्‍क देना पड़ेगा। किसी होटल या डांस बार में चले जाइये, वहां किसी के साथ भी आप डांस कर सकते हैं।  
                  अभी कुछ सालों से और भी मज़े लग गये हैं। आप इसी एक जीवन में टू-इन-वन मज़े लूट सकते हैं। अब तो व्‍यक्ति के पास एक ही जीवन में दो-दो लाइफ हो गई हैं  एक डे-लाइफ और एक नाइट-लाइफ। दिन को दोपहर तक सोइये। बाद दोपहर काम कीजिये और नाइट-लाइफ का लुत्‍फ उठाकर रात को हसीन-रंगीन कीजिये। पहले कहते थे कि रात को तो चोर-डाकू और लुटेरे ही जागते और अपना धंधा करते हैं पर अब तो शालीन लोग भी रात के मज़े उठाते हैं।
                  आप जवान हैं पर आपका कद छोटा रह गया। कोई चिन्‍ता नहीं। अनेकों व्‍यक्ति और संस्‍थान हैं जो आपका कद शर्तीया बढ़ाने वरन् पैसे लौटाने का वादा करते हैं।
                  इसी प्रकार कई दुबले-पतले होते कई बिलकुल कमज़ोर।  कई बहुत मोटे होते हैं। सब के लिये दवा का विज्ञापन आपको अनेकों ऑटो के पीछे लिखा मिलेगा। सबको ताक़त, स्‍फूर्ति और जवानी मिल जाती होगी। फिर चिन्‍ता किस बात की?
                  समस्‍या यह है कि कइयों को तो चिन्‍ता होती है कि उन्‍हें ऋण चाहिये होता है और कइयों को लिया हुआ ऋण लौटाना होता है। कोई समस्‍या नहीं। आजकल तो बैंक विज्ञापन देते हैं और मोबाइल पर जनता से ऋण लेने के लिये स्‍वयं आग्रह करते हैं। आप बस किसी बैंक के कान में यह सूचना डलवा दीजिये कि कि आप कुछ लाख या करोड़ का ऋण लेना चाहते हैं। या महंगी कार या बड़े मकान के लिये उधार लेने की सोच रहे हैं। फिर देखिये कमाल। ऋण देने वालों की आप के घर के सामने कतार लग जायेगी। आपका माबाईल तो बस बजता ही रहेगा। आप परेशान हो जायेंगे। ब्‍याज की दर पर भी बैंकों में स्‍पर्धा रहती है। सब कहते हैं कि हमारे से सस्‍ते ब्‍याज पर कोई ऋण दे ही नहीं सकता।
                  अब तो ऐसे ऐप भी निकल आये हैं जिससे आप स्‍वयं अन्‍दाजा लगा सकते हैं कि आपको कितना ऋण मिल सकता है।
                  यदि आपने ऋण लिया हुआ है तब भी उसकी कोई परेशानी नहीं। समस्‍या यही है न कि आप ऋण वापस लौटा नहीं सकते और ब्‍याज की सूई है कि थमने का नाम नहीं लेती। आप चुनाव तक प्रतीक्षा कीजिये। सभी राजनीतिक दल आपका ऋण मॉफ करने का वादा करेंगे।
                  यदि आपकी त्‍वचा का रंग काला है तो आप परेशान क्‍यों हैं? आपको अपना मुंह छुपाने की कोई ज़रूरत नहीं। बाज़ार में अनेकों क्रीमें उपलब्‍ध हैं जो आपके प्राकृतिक सौंदर्य पर काली परतों को हटा कर आपका असली रंग-रूप सामने ला देंगे। तब आप साधारण युवक व युवती नहीं कोई फिल्‍मी स्‍टार दिखेंगे। लोग तो क्‍या आप स्‍वयं भी  अपने आपको पहचान न पायेंगे। तब आप स्‍वयं ही अपने आप को कोसने लगेंगे कि आपने अपनी सुन्‍दरता इतने सालों तक लोगों से छिपाई क्‍यों रखी। तब आपको उस क्रीम का ‘’थैंक यू’’ तो करना ही पड़ेगा।
            यही नहीं। अब तो मर्दों व महिलाओं के लिये अलग-अलग क्रीमें ईजाद
हो गई हैं। प्रतीक्षा तो केवल यह है कि आप कब इसका उपयोग करते हैं।
                  आप बेकार हैं। आपको नौकरी नहीं मिल रही। आप परेशान हैं। आपको सारी रात नींद नहीं आती। आपके माता-पिता भी परेशान हैं। महाशय, मैं मानता हूं कि आप बेकार हैं पर आप परेशान भी बेकार में हैं। हमारे यहां तो अनेक ऐजैन्सियां हैं जो आपको आपकी मनचाही नौकरी दिलाने के लिये बेकरार बैठी हैं। आपको मुंह मांगा वेतन दिलाने को तैय्यार हैं वह भी अपके मनचाहे स्‍थान पर। यही नहीं। अब तो आपको घर बैठे काम करने की सुविधा भी मिल सकती है। काम का काम, आराम का आराम। जब चाहे तो काम कीजिये और जब आपका दिल चाहे तो आराम। आप उनसे सम्‍पर्क तो कीजिये। हां, जेब तो ढीली करनी ही पड़ेगी। शुभ कार्य केलिये ऐसा तो करना ही पड़ता है। आप किसी पूजास्‍थल पर कोई मन्‍नत मांगने जाईये वहां भी कुछ तो चढ़ावा चढ़ाना ही पड़ता पड़ता है। ऊपर से यह भी वादा करना पड़ता है कि काम हो गया तो फिर दर्शन करू़गा। इतने कंजूस और मक्‍खीचूस तो मत बनिये यदि आपको जीवन में कुछ पाना है, कुछ कर दिखाना है।  
                  यदि अभी तक आपकी शादी नहीं हुर्ई तो दु:खी रहने की क्‍या बात है? दुनिया में अनेक महानुभाव हैं जिनकी शादी हुई नहीं या जिन्‍होंने शादी करवाई नहीं। फिर  उन्‍होंने अपनाभी खूब नाम बनाया है। हमारे महान् नेता राहुल गांधी जी और प्रसिद्ध अभिनेता सलमान खां को ही लीजिये। अभी तक उनकी शादी हुई नहीं या उन्‍होंने की नहीं, वह खुश हैं। मज़े में हैं। जब उनके चाहने वाले चिन्‍ता करते हैं और पूछते हैं तो वह खुश होकर कहते है कि समय आने पर करेंगे। तो आप स्‍वयं क्‍यों इतने परेशान हैं?
                  पर यह भी सच है कि आप उनकी तरह बड़े और महान् तो हैं नहीं। उनके पीछे तो अनेक लोग हैं जो उनका जीवन साथी बन धन्‍य हो जाने के लिये तैय्यार बैठे हैं। उनकी हां की प्रतीक्षा सालों से कर रहे हैं। इसके लिये वह कुछ भी कुर्बानी देने को तैय्यार बैठे हैं। पर आप उनकी तरह बड़े दिल वाले हो नहीं सकते हैं। पर तब आपके लिये विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं के मैट्रीमोनियल कालम खुले पड़े हैं। करिये उनका उपयोग। पा लीजिये अपने सपनों का जीवन साथी और सारे जीवन के लिये सुखी हो जाईेये। न हो तो आप अनेकों मैट्रीमोनियल साईटों पर जा सकते हैं। मनचाहा जीवन साथी ढूंढ सकते हैं। उनसे मिल सकते हैं। ठोक-बजा कर अपना निर्णय ले सकते हैं। आपके सारे सपने साकार हो जायेंगे।
                  आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं। बहुत दु:खी हैं तो व्‍यर्थ में। कौनसी बीमारी है जिसका इस दुनिया में इलाज नहीं है? आपके पास तो ढेर सारे विकल्‍प हैं। कई इश्‍तहार देकर दावा करते हैं कि वह बेइलाज बीमारियों को जड़ से उखाड़ कर फैंक देते हैं। जिन्‍हें डाक्‍टरों व अस्‍पतालों ने भी मना कर दिया है, कई लोग उनके जीवन में भी उम्‍मीद की आग जला देते हैं। टूटे हुये अंग जोड़ देने का विश्‍वास दिलाते हैं।
                  कई लोगों को सन्‍तान न हो पाने के कारण न दिन को चैन है और न रात को नीन्‍द। परेशान वह लोग हैं जिन्‍होंने इश्‍तहार नहीं पढ़े। अनेकों व्‍यक्ति व संस्‍थान हैं जो उनकी दवाई खाने व उनके द्वारा उपाये सुझाने के बाद अपने आंगन में बच्‍चों की किलकारियां सुनने के सौभाग्‍यशाली हो चुके हैं। बात तो अच्‍छी राय सुनने और उस पर अमल करने की है।
                   इस लिये मेरी तो सब महानुभावों से प्रार्थना है कि आत्‍महत्‍या की सोचने और अपने कीमती जीवन को गंवाने से पूर्व टीवी पर जो विज्ञापन प्रसारित होते हैं और विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं में जो इश्‍तहार छपते हैं, उन्‍हें ध्‍यान से पढ़ने का कष्‍ट अवश्‍य करें। मुझे पूरा विश्‍वास है कि आप आत्‍महत्‍या का अपना इरादा ज़रूर बदल देंगे और इस देश और समाज की सेवा करते रहेंगे।                                     *** 
Courtesy: Udai India Hindi weekly

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