Monday, May 25, 2015

मोदी सरकार का एक वर्ष — अंधेरा तो छटा है, किरण तो निकली है

मोदी सरकार का एक वर्ष
अंधेरा तो छटा है, किरण तो निकली है

   अम्‍बा चरण वशिष्‍ठ

पिछले वर्ष 16 मई को भारत की प्रबुद्ध जनता ने एक नया इतिहास रचा। 30 वर्ष बाद उसने प्रथम बार किसी एक दल — और वह भी एक ग़ैर-कांग्रेसी — को पूर्ण बहुमत दिया। पूर्ण बहुमत की सरकारों की अनुपस्थिति में पिछले 25 वर्ष से देश अनिश्चितता की स्थिति से ग़ुज़र रहा था। देश की आशाओं और आकांक्षाओं के प्रति सरकार के पूरा न उतरने पर जनता जब उन पर उंगली उठाती तो सरकारें बहुमत के अभाव व गठबन्‍धन की मजबूरी को दोषी बता कर अपने उत्‍तरदायित्‍व से अपना पल्‍ला झाड़ लेती थीं। कार्यक्षमता व कर्तव्‍यपरायणता के अभाव से सरकार ग्रसित थी। ऊपर से हालत यह थी कि सरकार का रिमोट कन्‍ट्रोल किसी और के हाथ था। सरकार तो बस किसी के हाथ की एक कठपुतली ही थी। अच्‍छे पर वाह-वाह कोई और लूटता और विफलता का ठीकरा सरकार पर फोड़ दिया जाता। प्रति माह पहले से बड़ा कोई न कोई नया घोटाला विस्‍फोटित होता रहता था। विश्‍व की नज़रों में तो भ्रष्‍टाचार ही भारत का प्रमुख उद्योग-धंधा लगने लगा था।
चुनाव परिणामों ने अनिश्चितता के माहौल के अन्‍धेरे में नई सुबह की एक किरण बिखेर दी। एक नई व ताज़ा बयार चल पड़ी। तब गुजरात के मुख्‍य मन्‍त्री होते हुये भारतीय जनता पार्टी की राष्‍ट्रीय परिषद में भाषण देते हुये नरेन्‍द्र मोदी ने एक बार कहा था, ''माना कि अन्‍धेरा घना है, पर उसमें दीया जलाना कहां मना है\'' नरेन्‍द्र मोदी ने सारे देश में चुनाव अभियान द्वारा देश में व्‍याप्‍त घने अन्‍धेरे के बीच जनता के मन में आशा और विश्‍वास का एक दीया जला कर रख दिया।
अपने शपथग्रहण समारोह में नरेन्‍द्र मोदी ने सार्क देशों के राज्‍याध्‍यक्षों को शामिल होने का न्‍यौता दिया। वह शामिल भी हुये। इस प्रकार भारत मे चल पड़ी ताज़गी की हवा की सुगन्‍ध सारे विश्‍व में फैल गई। फलत: विश्‍व के देशों में एक होड़ सी लग गई। या तो वह स्‍वयं भारत आकर नई सरकार से हाथ मिलाना चाहते थे या फिर आतुर थे नये प्रधान मन्‍त्री का अपनी पवित्र धरती पर स्‍वागत करने के लिये।
पर नरेन्‍द्र मोदी ने अपना प्रथम विदेश प्रवास किया सब से पहले अपने पड़ोसी नेपाल व भूटान का और उन्‍हें अपना निकटतम सहयोगी और मित्र होने का एहसास कराया। हाल ही में नेपाल में भयंकर भूकम्‍प आया। हज़ारों की संख्‍या में लोग हताहत हुये और भीषण तबाही हुई तो भारत ही था जो अपने भाई व पड़ोसी की सहायता के लिये सब से पहले पहुंचा। कुछ घंटों में ही भारत के प्रधान मन्‍त्री ने सुनिश्चित किया कि सहायता सामग्री अतिशीघ्र पहुंचे। वह इस अभियान की स्‍वयं निगरानी कर रहे थे।
अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, रूस, आस्‍ट्रेलिया, चीन आदि अनेक देशों का दौरा कर मोदी ने भारत की छाप सब के दिल पर छोड़ी। इतना प्‍यार, उत्‍साह, व जनसमूह कभी किसी भारतीय प्रधान मन्‍त्री के लिये वहां पहले कभी नहीं उमड़ा था। नरेन्‍द्र मोदी ऐसे प्रधान मन्‍त्री बने जो 28 वर्ष बाद आस्‍ट्रेलिया के दौरे पर गये। वहां के प्रधान मन्‍त्री ने तो सार्वजनिक रूप से कह डाला कि उनके देश में किसी प्रधान मन्‍त्री का इतना बड़ा सम्‍मान व स्‍वागत हुआ ही नहीं।
हाल ही में सम्‍पन्‍न हुये चीन के दौर के दौरान अनेक समझौते हुये। मोदी ने चीन के नेताओं से खुलकर बेबाक वार्तालाप किया और सीमा विवाद को शीघ्र निपटाने पर ज़ोर दिया। चीन के साथ व्‍यापारिक व व्‍यावसायिक समझौतों ने जहां दोनों देशों के आर्थिक विकास को गति दी है, वहीं भारत-चीन सीमा विवाद को शीघ्र सुलझाने की ओर कदम भी बढ़े हैं। कूटनीतिज्ञ इस दौरे के सकारात्‍मक संकेत ही पढ़ रहे हैं।
''पूर्व की ओर रूख'' नीति ने उस क्षेत्र के देशों में भारत के लिये सुखदायी वातावरण का प्रादुर्भाव किया है। इस नीति ने भारत को उन देशों के करीब लाकर खड़ा कर दिया है।
इस सारी प्रक्रिया में भारत के सुरक्षा परिषद के स्‍थायी सदस्‍य बन जाने की स्‍म्‍भावनायें बढ़ गई हैं।
यही नहीं। जब यमन में हिंसा भड़क उठी और वहां रह रहे हज़ारों भारतीयों की जान खतरे में पड़ गई तो भारत ने अपने युद्धपोत भेज कर  सभी नागरिकों को वहां से सुरक्षित निकाल कर स्‍वदेश पहुंचाया। इस आप्रेशन की इतनी सराहना हुई कि अमरीका, फ्रांस समेत 24 देशों ने भी अपने नागरिकों को वहां से सुरक्षित निकालने के लिये भारत की सहायता मांगी।
भारत ने युद्धग्रस्‍त ईराक से भी वहां फंसी सैंकड़ों नर्सों को सुरक्षित निकाल कर उन्‍हें अपने घर पहुंचाया।
विश्‍वविख्‍यात पत्रिका टाईम ने अपने मुख पृष्‍ठ पर नरेन्‍द्र मोदी का चित्र छाप कर उनके नेतृत्‍व की प्रशंसा की। वह पहले प्रधान मन्‍त्री हैं जिन्‍हें अपने एक वर्ष से भी कम काल में यह स्‍थान मिला।
यह भी पहला ही अवसर है जब किसी अमरीकी राष्‍ट्रपति ने भारत के प्रधान मन्‍त्री पर स्‍वयं कोई लेख लिखा हो। बराक ओबामा ने नरेन्‍द्र मोदी को ''परफारमर-इन-चीफ'' बता कर उनकी प्रशंसा की।
   विश्‍व भर में भारत की छवि निखारने और उसकी साख बढ़ाने के साथ-साथ मोदी सरकार सरकार ने वित्‍त तथा सामाजिक क्षेत्र में भी अनेक पग उठाये हैं जिससे देश की सामाजिक व अर्थ व्‍यवस्‍था पर कई सकारात्‍मक परिणाम सामने आने लगे हैं।
मुद्रास्‍फीति की दर अप्रैल मास में अपने न्‍यूनतम स्‍तर - 2.33 प्रतिशत पर पहुंच गई। महंगाई सूचकांक भी गिर कर (-)2.06 पर पहुंच गया। खुदरा मुद्रास्‍फीति की दर भी लुढ़क कर 5.49 प्रतिशत पहुंच गई है। इसका मुख्‍य कारण खाद्यान्‍नों व तेल के मूल्‍यों में कमी है।
सरकार ने विदेशी बैंकों में जमा काले धन का वापिस भारत लाने के लिये भी कारगर कदम उठाये हैं। इसी कारण विदेशों में भारतीयों के जमा धन में कमी होने के समाचार आ रहे है। स्विस तथा अन्‍य देशों से समझौते कर काले धन का पता लगाने और उसे भारत लाने के लिये भी पग उठाये गये हैं। हाल ही में सरकार ने काले धन को स्‍वयं घोषित कर उसमें कुछ रियायतों की घोषणा भी की है ताकि लोग स्‍वयं ही उसे उजागर करने के लिये प्रंरित हो सकें।
यह भी सन्‍तोष का विषय है कि पिछले एक वर्ष में भारत में भ्रष्‍टाचार की मात्रा कम हुई है। 175 देशों की सूचि में वह पिछले वर्ष के 94वें स्‍थान से उठकर 85वें स्‍थान पर पहुंच गया है जो देश में घटते भ्रष्‍टाचार का द्योतक है।
यह पहला मौका था जब किसी प्रधान मन्‍त्री ने लाल किले की प्राचीर से स्‍वतन्‍त्रता दिवस पर लिखित भाषण न पढ़ कर ज़ुबानी भाषण दिया हो और समय की सीमा का भी सम्‍मान किया हो।
प्रधान मन्‍त्री ने 15 अगस्‍त को जन-धन योजना के लागूं किये जाने की घोषणा की जिसके अनुसार देश में हर व्‍यक्ति का बैंक में खाता खोलने का प्रावधान है। इसमें जमा किये जाने की न्‍यूनतम राशि शून्‍य रखी गई थी। प्रत्‍येक खाता धारक का एक लाख रूपये का बीमा भी कर दिया गया और उसे एक एटीएम भी दिया गया है। इस योजना के लक्ष्‍य को समय से पूर्व ही प्राप्‍त कर लिया गया। इस कारण भारता का नाम गिन्‍नीज़ बुक ऑफ रिकार्डस में दर्ज हो गया और पांच मास में ही ऐसा देश बन गया जहां सब का बैंक अकाऊंट है। तक इस योजना में 15 करोड़ 30 लाख बैंक खाते खुल चुके हैं। सरकार द्वारा विभिन्‍न वस्‍तुओं पर दी जाने वाली सबसिडी अब सीधी धारकों के बैंक खातों में जा रही है। इस व्‍यवस्‍था में जो भ्रष्‍टाचार व्‍याप्‍त था वह भी अब लगभग समाप्‍त हो चुका है। भ्रष्‍टाचार उन्‍मूलन में यह एक बड़ा सफल पग है।
स्‍वच्छ भारत अभियान भी मोदी सरकार की एक अनूठी व कारगर योजना है जिससे जन-जन में स्‍वच्‍छता के बारे जागरूकाता पैदा हो गई है। इसे राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी की जयन्ति पर पिछले वर्ष चालू किया गया था। इससे पर्यावरण के प्रदूषण की रोकथाम हो सकेगी। देश में गंदगी के कारण फैलने वाली बीमारियों से बचने में काफी सहायता मिलेगी। यह अभियान प्रतिदिन ज़ोर पकड़ रहा है। जनता समझने लगी है कि यह कार्यक्रम सब के हित के लिये है।
सांसद आदर्श ग्राम भी मोदी सरकार की एक अभिनव योजना है जो देश में प्रति वर्ष लगभग 800 आदर्श ग्रामों का निर्माण करेगी। इससे ग्रामवासियों को भी आदर्श सुविधायें प्राप्‍त हो जायेंगी। इसके फलस्‍वरूप अगले पांच वर्ष में देश में लगभग 4000 उत्‍कृष्‍ठ गांव बस जायेंगे। दूसरी ओर सांसद निधि का भी सदुपयोग हो जायेगा। बहुत से सांसदों ने इस योजना के अन्‍तर्गत ग्रामों का चयन कर लिया है।
स्‍मार्ट शहर योजना वर्तमान सरकार की एक महत्‍वाकांक्षी योजना है। इससे वर्तमान बड़े शहरों पर आबादी का दबाव कम हो जायेगा। नागरिकों को ऐसे शहरों में अपना जीवनयापन का अवसर मिलेगा जिसमें विश्‍वस्‍तर की आधुनिकतम सुविधायें प्राप्‍त होंगी। सरकार इस पर भी बड़े ज़ोर-शोर से काम कर रही है। दक्षिणी कोरिया ने इन शहरों में 10 बिलियन डालर निवेश करने का निर्णय लिया है।

मेक इन इण्डिया प्रधान मन्‍त्री नरेन्‍द्र मोदी का एक बड़ा महत्‍वाकांक्षी कार्यक्रम है। इसकी सराहना विदेशों में भी हो रही है। इस कारण भारत में विदेशी निवेश भी बढ़ रहा है। प्रधान मन्‍त्री की हाल ही के दक्षिणी कोरिया व अन्‍य देशों के प्रवास के दौरान इस योजना में काफी रूचि पैदा हुई है और इस ओर काफी सफलता भी मिली है।
सकल घरेलू उत्‍पाद
नई सरकार के भरसका प्रयत्‍नों के बावजूद वर्ष 2014-15 में भारत का सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) मात्र 5.6 प्रतिशत ही बढ़ पाया था। पर चालू वर्ष के संकेतों, अनुमानों व विदेशी एजैंसियों के आंकलन के अनुसार वर्ष 2015-16 में इसके बढ़ कर 8.1 प्रतिशत हो जाने की सम्‍भावना जताई जा रही है। इसका श्रेय भी मोदी सरकार को ही जाता है।
मोदी सरकार के आने के बाद विश्‍व के आर्थिक बाज़ार में भारत की साख बहुत ऊंची हो गई है। एक वर्ष पूर्व आर्थिक स्थिति पर जो चिन्‍ताजनक समाचार सुनने को मिलते थे उसके विपरीत अब भारत की अर्थ व्‍यवस्‍था को आशापूर्ण भाव से आंका जा रहा है। न्‍यूनतम समीक्षा के अनुसार 2020 तक चीन अमरीका से आगे निकल जायेगा और विश्‍व की सब से बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन बैठेगा। साथ ही उन्‍हीं अनुमानों के अनुसार 2050 तक भारत चीन को भी पछाड़ देगा और विश्‍व की सब से बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था का स्‍थान प्राने का गौरव प्राप्‍त कर लेगा।
गंगा हमारी मां है, पवित्र नदी है। यह हमारे जीवन की रेखा है। उस पर देश की आधे से अधिक कृषि उपज निर्भर करती है। पर पिछली सरकारों की कोताही के कारण आज उसका पानी प्रदूषित हो रहा है। मोदी सरकार ने इस की सफाई के लिये राष्‍ट्रव्‍यापी अभियान चालू किया है। उसके लिये एक अलग मन्‍त्रालय का गठन कर उसकी कमान सुश्रीउमा भारती को सौंपी गई है। सरकार की कोशिश है कि गंगा स्‍वच्‍छता के अपने लक्ष्‍य को अगले सात सालों में प्राप्‍त कर लिया जाये।
यूपीए सरकार ने राष्‍ट्रीय उच्‍च मागों के निर्माण की गति को बहुत ढीला कर दिया था। तब देश में प्रतिदिन केवल 4-5 किलोमीटर ही नई सड़कों का निर्माण हो रहा था। नई सरकार बनते ही केन्द्रिय मन्‍त्री नितिन गडकरी ने इस कार्य को गति दे दी है। अब देश में प्रतिदिन औसतन 30 किलोमीटर उच्‍च राजमार्ग बिछाये जा रहे हैं। नदी मार्गों को भी विकसित किया जा रहा है।
भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र में 21 जून को अन्‍तर्राष्‍ट्रीय योग दिवस मनाये जाने का प्रस्‍ताव रखा जिसके सहप्रस्‍तावक 193 में से 175 देश थे। यह एक रिकार्ड है। मोदी सरकार ने इसकी पहल की और यह प्रस्‍ताव सरकार के बनने के 90 दिन के अन्‍दर ही पास हो गया। यह दिवस इस बार भारत सहित सारे विश्‍व में 21 जून को मनाया जायेगा।
सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में भी बहुत कुछ किया है जिस कारण ऊर्जा की स्थिति में सुधार हुआ है।
आन्‍तरिक सुरक्षा में भी इस सरकार की उपलब्धि उल्‍लेखनीय रही है। यह पहला अवसर था जब पाक सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा दल को पाकिस्‍तान द्वारा हर तीसरे दिन गोलाबारी और घुसपैठ की कोशिशों का पूरा जवाब देने की छूट दे दी गई। इसका सकारात्‍मक असर हुआ है।
'घर वापसी' व धर्मान्‍तरण पर भी काफी गर्मागर्मी रही। अजीब बात यह है कि तथाकथित पंथनिरपेक्ष महानुभाव 'घर वापसी' पर तो भौयें चढ़ाते हैं पर धर्मान्‍तरण पर रोक लगाने के लिये कानून बनाने से कतराते हैं। यह केवल उनका एक पाखण्‍ड ही है।
कई स्‍थानों पर पूजास्‍थलों पर हमले और उनकी तोड़फोड़ के मामले भी सामने आये। उससे साम्‍प्रदायिक तनाव बढ़ने की आशंका भी बढ़ी पर सन्‍तोष इस बात का रहा कि इसके पीछे कोई साम्‍प्रदायिक षड़यन्‍तत्र नहीं निकला। सभी मामले आपराधिक चोरी, लूटमार व निति रंजिश के निकले।
यह सच्‍च है कि मोदी सरकार ने जनता को सपने बहुत दिखाये थे। पर साथ यह भी सच्‍च है कि सरकार ने उन्‍हें साकार करने के लिये पूरे प्रयत्‍न भी किये हैं। यह तो जीवन का यथार्थ है कि आंख खोलते ही सपने साकार नहीं हो उठते। उसके लिये समय लगता है। धैर्य रखना पड़ता है। परखने की बात तो यह है कि क्‍या सरकार इस ओर ईमानदारी से कार्य कर रही है या नहीं। इस परख पर तो सरकार खरी ही उतरी है। इस में कोई संदेह नहीं कि अंधेरा छंटा है। उगते सूरज की किरण खिली है। पूरे सूरज की धूप की तो हमें रोज़ प्रतीक्षा करनी पड़ती है। पांच वर्ष के लिये किये गये वादों को सच्‍च होने के लिये तो एक वर्ष के समय पर्याप्‍त नहीं हो सकता।           

 साप्‍ताहिक उदय इण्डिया में भी प्रकाशित

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