Showing posts with label snooping. Show all posts
Showing posts with label snooping. Show all posts

Tuesday, March 24, 2015

तू आटा गूंधते हिलती क्‍यों है

तू आटा गूंधते हिलती क्‍यों है?
राहुल गांधी 'जासूसी' पर कांग्रेस का कुतर्क

        अम्‍बा चरण वशिष्‍ठ

तू आटा गूंधते हिलती क्‍यों है\ यह प्रश्‍न है उस सास का है जिसे अपनी बहू की बिना बात के आलोचना करनी होती है जबकि उसके पास कोई कारण नहीं होता। संयोग से अभी तक सास बनने का सौभाग्‍य तो प्राप्‍त नहीं कर पाई हैं पर आजकल कांग्रेस अध्‍यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी राजनीति में सास का रोल ही कर रही हैं। पिछले वर्ष से चुनावों में लगातार हार के हार पहनती कांग्रेस मुद्दों की कंगाल हो चुकी है। वह सरकार की आलोचना करने केलिये एक पारम्‍परिक सास की तरह बहाने ढूंढती रहती है।
पिछले एक मास से अधिक समय से कांग्रेस के युवराज व राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष छुट्टी लेकर अज्ञातवास पर चले गये हैं। लगता तो ऐसा हे जैसा कि उनकी माताश्री को भी उनके बारे पता नहीं हो। वह इस समय उस अज्ञात स्‍थान — भारत या भारत से बाहर — आत्‍मचिन्‍तन या आत्‍ममंथन कर रहे हैं, यह तो पता नहीं पर वह कांग्रेस को आत्‍म चिन्‍ता में अवश्‍य डाल गये हैं। मीडिया में अफवाहें तो यह भी हैं कि वह रूठ कर घर से भाग गये हैं कि माताश्री उनके लिये पद क्‍यों नहीं त्‍याग देतीं और अपने कर कमलों से उनका राजतिलक क्‍यों नहीं करतीं। खैर, यह तो घरेलू सच-झूठ का मामला है। जनता को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला कि अध्‍यक्ष माताश्री हैं या सुपुत्र। साथ ही समाचार यह भी छप रहे हैं कि वह शीघ्र ही उसी प्रकार अचानक स्‍वयं प्रकट हो जायेंगे जैसे कि वह लुप्‍त हुये थे। साथ में उनकी ताजपोशी अप्रैल में सुनिश्चित कर दी गई है। इसलिये अब उनकी छुट्टी और लुकाछिपी का कोई औचित्‍य नहीं बचा है।
राहुल के अचानक लुप्‍त हो जाने के कारण कांग्रेसपरेशान थी क्‍योंकि उसे हर दिन स्‍पष्‍टीकरण देना पड़ रहा था। इसलिये उसने भी ‘आटा गूंधते हिलती क्‍यों है’’ वाला बहाना ढूंढ लिया अपनी ओर से ध्‍यान हटा कर सरकार पर तोहमत लगाने का काम कर दिया। उसके हाथ आ गया किेसी पुलिस अधिकारी द्वारा राहुल गांधी के बारे कुछ सूचनाये प्राप्‍त करने का। बस उसने इस बात का बतंगड़ बना दिया और आरोप मढ़ दिया कि सरकार राहुल सरीखे विपक्ष के नेताओं पर निगरानी की आंख रख रही है। इसी से उसके पाखण्‍ड की पोल भी खुल गई।
सभी जानते है कि राहुल गांधी को एसपीजी सुरक्षा मिली हुई है। इसका स्‍पष्‍ट अभिप्राय है कि उनकी सुरक्षा की दृष्टि से उनपर हर प्रकार की नज़र रखी जानी अनिवार्य है। ऐसा न करना पुलिस की कोताही होगी और यह उनकी जान के लिये खतरा भी बन सकता है। वह कहां जाते हैं, किसको मिलते हैं, कितनी देर मिलते हैं – यह सब पूर्व सूचना पुलिस के पास होती है और होनी भी चाहिये। जिस क्षेत्र, जिस शहर व जिस प्रदेश में उन्‍हें जाना हो उसकी यथापूर्व सूचना पुलिस को भेजनी होती है ताकि वहां के सुरक्षा अधिकारी इसका यथापूर्व त्रुटिरहित प्रबन्‍ध कर लें। राहुल जैसे सुरक्षा प्राप्‍त व्‍यक्ति को तो यदि अपने किसी सम्‍बंधी या मित्र को भी मिलने जाना हो तो यह अनिवार्य है कि वह पहले ही बता दें कि उन्‍हें कब और किसके पास जाना है ताकि सुरक्षा कर्मी यह पहले ही सुनिश्‍चित कर लें कि वह स्‍थान जहां उन्‍हें जाना है उनकी सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित है और यदि नहीं तो उसका पूर्व प्रबंध कर लिया जाये। पुलिस उस निजि घर व संस्‍थान का निरीक्षण भी करेगी और वहां रहने वालों का पूरा ब्‍यौरा भी प्राप्‍त करेगी। यदि राहुल यह गिला करें कि यह उनके या उनके मित्र-सम्‍बंधी की प्राइवेसी पर अतिक्रमण है तो यह सुरक्षा व्‍यवस्‍था व उसमें लगे कर्मियों के साथ अन्‍याय है।
हमें यह भी नहीं भूलना चाहिये कि निगरानी और उनके बारे सूचना राष्‍ट्रपति, प्रधान मन्‍त्री और मन्त्रियों तक की इकट्ठी की जाती है और रखी जाती है।  
राज्‍य सभा में सदन के नेता व वित्‍त मन्‍त्री अरूण जेटली ने विपक्ष्‍ को सुरक्षा और जासूसी के बीच का फर्क समझाया। उन्‍होंने बताया कि जासूसी बिन बताये की जाती है और सरेआम सूचना प्राप्‍त करने को जासूसी की संज्ञा देना गलत है। फिर ऐसी सूचना केवल राहुल या कांग्रेस व अन्‍य विपक्षी दल के नेताओं से ही प्राप्‍त नहीं की गई है। भाजपा के नेताओं व मन्त्रियों से भी यही सूचना व सवाल पूछे गये हैं। सरकार के पास इस समय 526 सांसदों से इस बारे सूचना प्राप्‍त की जा चुकी है। उन्‍होंने बताया कि प्रोफार्मा पर सूचना एकत्रित करने का काम 1987 से चल रहा है। 1998ए 2004 व 2010 में इस प्रकार की सूचना श्रीमति सोनिया गांधी के घर जाकर भी प्राप्‍त की गई थह। उन्‍होंने यह भी याद दिलाया कि एक बम दुर्घना में एक पूर्व प्रधान मन्‍त्री की हत्‍या के बाद उनके शव की पहचान उनके जूते से ही सम्‍भव हो सकी थी जिसकी सूचना पुलिस के पास उपलब्‍ध थी।
व्‍यक्तियों पर निगरानी सरकार ही नहीं आम जीवन में बहुत से लोग करते व करवाते हैं और करनी भी चाहिये। जो नहीं करते वह बाद में पछताते हैं। नज़र परिवार अपने सदस्‍यों पर भी रखते है। लोग अपने बच्‍चों पर भी रखते हैं। पति पत्नि पर और पत्नि पति पर रखती है। अब तो लाइसैंस प्राप्‍त जासूसी एजैन्सियां भी बन गई हैं जो किसी पर भी यह काम करती हैं। फिर आज तो तकनालोजी इतनी विकसित हो गई है कि किसी चीज़ या बात को पर्दे में छुपा कर रखना सम्‍भव ही नहीं रह गया है।       
उधर मुश्किल यह भी है कि आज सरकारी सुरक्षा प्राप्‍त करना एक स्‍टेटस सिम्‍बल भी बन गया है। किसी की सुरक्षा कम कर दी जाये या हटा ली जाये तो भी बावेला खड़ा कर दिया जाता है। हम भूले नहीं हैं जब प्रियंका के पति रॉबर्ट वडरा की सुरक्षा या सुवधिायें कम करने य हटाने की बात होती है तो बहुत शोर मचाया जाता है। जब यह सब चाहिये तो जिस परेशानी पर व्‍यर्थ का बखेड़ा खड़ा किया जा रहा है वह भी सहना पड़ेगा। पुराने समय में ठीक ही कहते थे कि यदि नथ पहननी है तो नाक बिंधवाने की पीड़ा तो सहनी पड़ेगी ही। कुछ महानुभावों की सुरक्षा का दायित्‍व सरकार पर है। उन पर ग़रीब जनता की गाढ़ी कमाई का करोड़ों-अरबों रूपया भी खर्च किया जा रहा है। तो उन महानुभावों को उनकी सुरक्षा प्रदान करने के मामले में सरकार से भी पूरा सहयोग करना चाहिये। एक ओर तो राहुल को एसजीपी सुरक्षा प्रदान की गई है तो दूसरी ओर वह यह भी हक चाहते हैं कि वह जब चाहें तब चुपचाप गोल हो जायें और किसी के कान में खबर तक न लगे। ऐसी अवस्‍था में क्‍या वह अपने आप को असुरक्षित नहीं कर रहे और सुरक्षा एजैन्यिसों को उन्‍हें सुरक्षा प्रदान करने में असहाय नहीं बना रहे हैं\ इसमें कुछ भूल-चूक हो जाये तो कौन जि़म्‍मवार होगा\

उदय इण्डिया के 28 मार्च, 2015 अंक में भी प्रकाशित