Sunday, February 9, 2014

शुभ विवाह का उद्घाटन

हंसी-ठिठोली
शुभ विवाह का उद्घाटन

एक मन्‍त्री महोदय को किसी स्‍मर्थक ने अपनी बेटी की शादी पर बुलाया। जब मन्‍त्रीजी पहुंचे तो उन्‍होंने देखा कि वहां न तो कोई मंच है और न ही कोई लाउड स्‍पीकर जहां से वह अपना भाषण दे सकें। फिर उन्‍होंने सोचा कि उन्‍हें कोई उद्घाटन करवाने के लिये आमन्त्रि‍त किया गया होगा। पर वह कुछ भी उन्‍हें न लगा। इतनी देर में वर-वधू सात फेरे के लिये उठे। दोनों के कंधे पर दो चुन्नियां बांध कर एक वस्‍त्र टंगा हुआ था। उन्‍होंने साथ खड़े व्‍यक्ति को पूछा, ''कैंची कहां है\''

अब वह मन्‍त्री महोदय की बात कैसे टाल सकता था। वह जल्‍दी से एक कैंची लाया और उनके हाथ थमा दी। मन्‍त्री जी ने भी आव देखा न ताव झट से वर-वधू के कंधे के पीछे लटकी चुन्नियों की माला को कैंची से काट डाला और वापस लौटते हुये बोले, ''चलो, जिस उद्घाटन के लिये हम आये थे वह तो पूरा हो गया। अब चलते हैं''।

(एक कार्टून पर आधारित)


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