Sunday, October 12, 2014

हंसी-ठिठोली — किस्‍से बीवियों के

हंसी-ठिठोली
किस्‍से बीवियों के

खाना तैय्यार है — रैस्‍तरां में

बेचारा पति दफ्तर से थका-मांदा घर पहुंचा। उसे बहुत भूख लगी थी। आते ही बीवी से पूछा, ''खाना तैय्यार है\''
बीवी ने मटकते हुये कहा, ''हां, रैस्‍तरां में।''

पांच सौ और दीजिये, सॉब

एक पति ने अपने नौकर को पांच सौ रूपये का नोट थमा कर कहा, ''देखो, बीबीजी को मत बताना कि पीछे से कोई आई थी।''
नौकर बोला, ''सॉब, तब तो पांच सौ का एक नोट और दीजिये''।
''क्‍यों\'' पति ने हैरान होकर रौब से पूछा।
''सॉब, ऐसे मौके पर तो बीबीजी एक हज़ार रूपया देती हैं,'' नौकर ने सहज भाव से बताया।

ताकि वह सदा सिर झुका कर बात करे

दो लड़किया आपस में बात कर रही थी और बता रहीं थी कि उसे कैसा पति चाहिये। एक ने कहा कि मुझे पति अपने से बहुत लम्‍बा चाहिये।
क्‍यों\ दूसरी ने पूछा।
ताकि मैं जब भी उससे बात करूं तो सिर उठा कर और वह जब भी मुझ से बात करे तो सिर झुका कर।

क्‍या मैं इस समय पच्‍चीस की नहीं हूं\

पचास साल से भी अधिक की बात। बताते हैं उन दिनों लकड़ी के चूल्‍हे जलते थे। चूल्‍हे के सामने ही पत्नि तवे पर से गर्म-गर्म रोटी खिलाती जा रही थी। दाल-भाजी भी बड़ी स्‍वाद थी। पति ने मस्‍का लगाते हुये कहा, ''जब तुम पच्‍चीस साल की थी तब तुम बहुत सुन्‍दर लगती थी।''
पत्नि एक दम गुस्‍से से लाल हो गई। चूल्‍हे से एक जलती लकड़ी उठा कर उस पर ज़ोर से सटाते हुये कहा, ''क्‍यों, मैं आज भी पच्‍चीस साल की नहीं हूं\''

हाय-हाय, मैं ही रंडी हो जाऊं

प्रात: उठा तो पत्नि ने देखा कि पति बड़ा उदास है। उसने कारण पूछा। पति ने यह कह कर टाल दिया कि कोई विशेष बात नहीं है।
पत्नि को लगा कि वह उससे कुछ छुपा रहा है। उसने कहा, ''नहीं, कुछ बात तो है''।
पति ने फिर अनमने से कहा कि नहीं, कुछ बात नहीं।
पर पत्नि कहां मानने वाली थी इतनी आसानी से। उसने कहा कि तुम्‍हें मेरी कसम। सच्‍च-सच्‍च बता दो कि क्‍या बात है।
अब पति हार गया। बोला – ''सपने में मैंने एक बुरा सपना देखा''।
क्‍या देखा\ सच्‍च–सच्‍च बताओ, पत्नि ने कौतूहल में पूछा।
पति ने बताया कि रात उसने स्‍वप्‍न में देखा कि वह रंडुआ हो गया।
अपनत्‍त दिखानी हुई पत्नि बोली - हाय-हाय, आप क्‍यों रंडुये होओ। मैं ही रंडी हो जाऊं।

मेरे रहते ऐसा कभी मत कहना

पति बड़ा हताश था। बोला — अब तो मैं इस निष्‍कर्ष पर पहुंचा हूं कि मैं ही अपन सब से बड़ा शत्रु हूं।
पत्नि ने पति का हाथ पकड़ा और आंखों में आंसू छलकाते हुये सहानुभूति से कहा — देखो, जब तक मैं जि़न्‍दा हूं ऐसा कभी मत कहना।
गृह-लक्ष्‍मी कौन\

गृह-लक्ष्‍मी वह जो घर को स्‍वर्ग और घरवालों को स्‍वर्गवासी बना दे।


6 अक्‍तूबर 2014 को कर्वाचौथ वाले दिन फेसबुक पर ली चुटकियां

एक ने लिखा :-
 वह न जीने देती हैं, न मरने

                  बीवियां
जीने नहीं देतीं
ऊपर से कर्वाचौथ का ब्रत रखती हैं और
मरने भी नहीं देतीं।

दूसरे ने लिखा :-

तुम्‍हारा ब्रत टूट जायेगा

     कर्वाचौथ का ब्रत रख कर भी एक बीवी पति के साथ चकचक करने से बाज़ नहीं आ रही थी। तंग आकर पति ने कहा — बस करो। तुमने ब्रत रखा है कुछ न खाने का। पर यदि तुम मेरा दिमाग़ खाती जाओगी तो तुम्‍हारा ब्रत टूट जायेगा।
 
  

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