Thursday, September 15, 2016

हास्‍य-व्‍यंग शादी तो प्रेम की कैंची है

हास्‍य-व्‍यंग
        कानोंकान नारदजी के
शादी तो प्रेम की कैंची है

मैं प्‍यार करता हूं, बस प्‍यार। और कुछ नहीं। कर भी नहीं सकता। यदि मैं करूं तो इसका मतलब है कि मेरा प्‍यार सच्‍चा नहीं है। मैं इतना मशहूर हो गया हूं कि मेरी गली, मुहल्‍ले व गांव के लोग मेरा नाम ही भूल गये हैं। कोई मुझे मजनूं कहता है, तो कोई शीरीं का फरहाद। मैं इतना मशहूर गया हूं कि मेरे प्‍यार के चर्चे हर ज़ुबान पर चढ़ने लगे हैं। कइयों को तो इतनी जलन व ईर्षा होने लगी कि वह कहने लगे कि मैं तो प्‍यार में बदनाम हो गया हूं। उन नासमझों को यह भी नहीं पता कि प्‍यार से नाम होता है बदनाम नहीं। खैर, मैं उन पर गुस्‍सा नहीं करता। मैं उनपर तरस ही खाता हूं। बेचारे करें भी क्‍या, स्‍वयं तो प्‍यार कर नहीं सके, सफल हो नहीं सके, इसलिये अपनी नालायिकी से सुलगी जलन की भड़ास वह इन शब्‍दों से निकालते हैं।
मेरी प्रसिद्धि दूर-दूर तक होने लगी। लोग मुझे देखने आने लगे। मुझे मिलने आने लगे। कइयों के हावभाव से तो ऐसा लगता था कि वह मेरे दर्शन कर धन्‍य होने लगे। मैं भी किसी को निराश नहीं करता था। कई तो मुझ से प्‍यार में सफलता के गुर, टोटके पूछने व समझने लगे। मैं भी इस में कोई कंजूसी नहीं बरतता। इससे किसी का भला हो जाये तो मेरा क्‍या जाता है।
बात तो यहां तक पहुंच गई कि देश व विदेश से पत्रकार मुझ से साक्षात्‍कार के लिये गिड़गिड़ाने लगे। मैं सब से बड़े विनम्र भाव से कहता कि मेरे पास समय नहीं है। मैं अपने प्‍यार में इतना व्‍यस्‍त हूं, मस्‍त हूं कि  साक्षात्‍कार के लिये कोई वक्‍़त नहीं निकाल सकता। वह मेरे साथ सहमत होते। मानते कि मैं समय कहां से निकाल सकता हूं। पर वह इसरार करते कि प्‍यार की खातिर अवश्‍य समय निकालिये। लाखों-करोड़ों का भला होगा। अपने प्‍यार में असफल रहने पर देश व विश्‍व में हज़ारों-लाखों आत्‍महत्‍यायें कर रहे हैं। प्‍यार के क्षेत्र में आपके अनुभवों, खोजों व आविष्‍कारों से अनेक त्रस्‍त प्रेमियों का भला हो जायेगा। उनके त्रस्‍त मन को सान्‍त्‍वना मिलेगी। उन्‍हें राहते मिलेगी, उन्‍हें रास्‍ता मिल जायेगा। वह भटकने से बच जायेंगे। आप उन पर तर्स करो। वह भी आपके ही भाई-बन्‍धू हैं। आखिर मैं मान ही गया। यदि मेरे कारण प्रेमियों का भला होता है तो मुझे खुशी ही होगी क्‍योंकि मैं भी तो प्‍यार का पैग़ाम घर-घर पहुंचाना चाहता हूं। मैं तो प्‍यार का मसीहा हूं आखिर। इसी से तो भाईचारा बढ़ेगा, प्रेम फैलेगा और विश्‍व में शान्ति का राज होगा। हिंसा और असहिष्‍णुता दूर होगी।
वह एक बड़ा पत्रकार निकला, एक बहुत बड़े समाचार समूह का प्रतिनिधि। मैं तो समझा था कि वह एक बड़े चैनल का प्रतिनिधि है जो देश में ही नहीं विदेशों में भी मेरी छवि बना देगा। प्‍यार का सन्‍देश घर-घर पहुंचा देगा। जब उसके पास कोई टीवी कैमरा नहीं था, तो मैं उससे थोड़ा मायूस तो हुआ पर मैंने कहा छोड़ो, बेचारा आ गया है तो उसे भी मायूस मत करो।
पर वह तो हमारे गांव के एक पत्रकार से भी गया गुज़रा निकला। बड़े अटपटे सवाल पूछने लगा। मझे पूछा कि तुम्‍हारा नाम क्‍या है। जब मैंने कहा कि कृष्‍ण तो पूछने लगा कि यह आपका असली नाम है। मैंने बताया कि माता-पिता ने तो मेरा कुछ और नाम रखा था पर मैंने स्‍वयं कृष्‍ण रख लिया। पूछने लगा कि माता-पिता द्वारा रखा नाम क्‍या था। मैंने कहा जो तुम्‍हें ही बताना होता तो मैं बदलता क्‍यों। कहने लगा कि बताने में बुरा क्‍या है। मैंने कहा मैं अपने दो नाम बता कर लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा नहीं करना चाहता।
मुझे तो लगा कि वह मेरा साक्षात्‍कार नहीं ले रहा था बल्कि मेरे से जिरह कर रहा हो जैसे कि मैं कोई अपराधी हूं या अदालत में गवाही दे रहा हूं। पूछता कि जब आपने नाम बदला तो कृष्‍ण ही क्‍यों रखा, कुछ और क्‍यों नहीं। ग़ुस्‍सा तो मुझे आया पर कंट्रोल कर गया।
फिर पूछने लगा कि आपकी उम्र क्‍या है।  मैंने कहा कि तुम ने मेरी उम्र से क्‍या लेना है। उसने कहा कि बताने में हर्ज़ ही क्‍या है। तब मैंने उसे समझाया कि भैय्या, प्‍यार की कोई उम्र नहीं होती। प्‍यार कोई भी कर सकता है – बच्‍चा, बूढ़ा और जवान। प्‍यार कभी भी हो सकता है, किसी को भी हो सकता है, किसी समय भी हो सकता है।
मेरे को पूछता कि तुम्‍हारी ऊंचाई कितनी है। मैंने कहा तुम खुद ही देख लो मुझे तो नापने का न कभी समय लगा और न कभी ज़रूरत ही समझी। तुम्‍हारी उसकी ऊंचाई कितनी होगी। मैं ने उसे अपना वही जवाब दोहरा दिया। वह लम्‍बाई में तो आपसे छोटी ही होगी। मैंने कहा वह छोटी हो या लम्‍बी, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे तो उससे प्‍यार करना है, मैंने उसके कपड़े नहीं सिलने हैं जो मैं उसकी लम्‍बाई-चौड़ाई का हिसाब रखूं।                     
          
पूछने लगा कि उसकी उम्र कितनी है। मैंने कहा कि मैंने उससे प्‍यार किया है। मैंने उसे नौकरी देने के लिये इन्‍टर्व्‍यू नहीं लिया जो मैं उसकी उम्र पूछता कि कहीं उसकी उम्र निधार्रित आयु से कम या ज्‍यादा तो नहीं है। पूछता कि आपकी उम्र से तो कम ही है ना। मैंने कड़क सा जवाब दिया – जब मुझे उससे प्‍यार हो गया तो वह मुझ से बड़ी हो या छोटी, कोई फर्क नहीं पड़ता।
वह देखने में कैसी हैमुझे हंसी आ गई। मैंने कहा, सुन्‍दर, अति सुन्‍दर। बोला – होनी ही चाहिये। मैंने कहा, मैं आपसे एक बात पूछूं। उसने कहा, हां-हां, बड़ी खुशी से। मैंने पूछा, आपकी शादी हो चुकी है? कहता – हां। मैंने पूछा कि तुमने कभी अपनी बीवी को कहा है कि वह सुन्‍दर नहीं है? बोला – तुम मुझे जूते मरवाना चाहते हो? मैंने कहा कि एक पते की बात मुझ से भी सुन लो। जूते शादी के बाद चलते हैं, शादी से पहले नहीं। बोला – तुम तो यार बड़े नजुर्बेकार लगते हो। मैंने कहा -- भैय्या, तभी तो तुम मेरा साक्षात्‍कार लेने पहुचे हो।
पूछता कि तुम पढ़े क्‍या हो? मैंने कहा – प्‍यार। उसने कहा – मैं पूछ रहा हूं कि तुमने पढ़ाई कहां तक की है। मैने कहा – अढ़ाई अक्षर प्रेम का। उसने पूछा – उससे आगे?
मुझे फिर हंसी आ गई। कहा – भैय्या, प्रेम के मामले में कुछ नादान लगते हो। सच्‍चे प्रेमी के पास स्‍कूल-कालिज की पढ़ाई करने का समय ही कहां होता है। फिर तुम ने कहीं पढ़ा है या किसी ने पूछा है कि शीरीं-फरहाद या लैला-मजनूं कितने पढ़े थे। जो प्‍यार करता है वह पढ़ नहीं सकता और जो पढ़ता है वह प्‍यार नहीं कर सकता। यदि कोई पढता भी है और दावा करता है कि वह प्रेम भी करता है तो वह पाखण्डी है, झूठा है।
तो तुम बड़े होकर क्‍या करोगे जब तुम्‍हारे लिये काला अक्षर भैंस बराबर होगा। नहीं, मैंने ज़ोर देकर कहा, मेरे लिये काला अक्षर भैंस बराबर नहीं, प्‍यार के बराबर होगा।
तो फिर तुम घर-गृहस्‍थ कैसे चलाओगे क्‍योंकि कोई नौकरी तो तुम्‍हें मिलेगी नहीं क्‍योंकि तुम्‍हारे पास कोई डिग्री तो होगी नहीं?
मैंने कहा – मुझे प्‍यार करना है, नौकरी नहीं। यदि मैं किसी की नौकरी करूंगा तो प्‍यार कहां से कर पाऊंगा? उसके लिये तो मेरे पास समय ही नहीं बचेगा। फिर मैंने अभी कौनसी गृहस्‍थी बसा ली है?
तो तुम शादी कब करोगे? उसने पूछा तो मैंने उत्‍तर दिया — भैय्या, तुम खबर बनाने की जल्‍दी के चक्‍कर में लगते हो। सुन लो, मैंने तो अभी उसे प्रोपोज़ भी नहीं किया।
तो कब करोगे? उसने आगे पूछा। मैंने कहा, तुझे क्‍या जल्‍दी है? यह निर्णय तो मैंने करना है, तुमने या तुम्‍हारी अखबार ने तो नहीं। मैंने आगे कहा – लगता है कि तुम्‍हारा सामान्‍य ज्ञान भी बहुत कमज़ोर है। किस किताब में लिखा है कि उन महान् प्रेमियों ने कभी प्रोपोज़ किया हो। उसने अपनी अज्ञानता जताई पर आगे एक और सबाल कर दिया – तो तुम्‍हारी शादी कब और कैसे होगी?
मैंने कहा – भैय्या मैंने तुम्‍हें पहले ही बता दिया है कि हम प्‍यार करते हैं। मैंने शादी की बात कब की?
पर प्‍यार का अन्तिम पड़ाव तो शादी ही है ना – उसने कहा। मैंने भी पट से उत्‍तर दे दिया – ट्रैजडी भी तो है। मेरे उत्‍तर से वह हतप्रभ रह गया। बोला – यह तो है।
फिर मैंने उसको ही पूछ लिया – बता, शीरीं-फरहाद व लैला-मजनूं की शादी हुई थी?
उसने कहा – नहीं।
तो मैंने कठोर व स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहा – सुनो, हम सभी अनन्‍त प्रेमियों से आगे निकलेंगे। इतिहास रचायेंगे। हम शादी नहीं करेंगे। केवल प्रेम करेंगे सदा, सदा सैंकड़े जन्‍मों तक। शादी तो प्रेम की कैंची होती है। हम अपना प्रेम अमर बनायेंगे।                   ***    
Courtesy: Uday India (Hindi) weekly

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